साल में सिर्फ 5 घंटे के लिए खुलता है ये मंदिर, महिलाओं के लिए बने हैं ये खास नियम! अलग है कहानी

भारत एक सांस्कृतिक देश है जहाँ हर मील पर आपको कुछ न कुछ नया और अलग देखने को मील ही जाता है, मंदिरों की बात करें तो देश में हजारों लाखों मंदिर है और हर मंदिर की अपनी अलग ही कहानी है।

ऐसे में आज हम आपको भारत के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जो रहस्यों से भरी हुई है,  इस मंदिर की एक विशेष बात यह भी है कि यह वर्ष में एक दिन ही चैत्र नवरात्र में भक्तों के लिए खोला जाता है और पूजा अर्चना की जाती है।

इतना ही नहीं इस मंदिर में पूजा के लिए महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत नहीं है और केवल पुरुष ही यहाँ पूजा करते है। तो चलिए आपको इस विशेष मंदिर के बारे में विस्तार से बताते है।

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हम जिस मंदिर की बात कर रहे है वह छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित है, इस मंदिर का नाम निराई माता मंदिर है। बता दें कि धमतरी जिले के मगरलोड ब्लॉक मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर सोंढूर, पैरी नदी के तट पर बसे मोहेरा के आश्रित निरई की पहाड़ी पर मां निरई विराजमान है।

इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह हर वर्ष केवल चैत्र नवरात्र में एक दिन श्रद्धालुओं के लिए खुलता है, और यह परंपरा वर्षों से इसी तरह चलती आ रही है।

निरई माता मंदिर में माता को सिंदूर, सुहाग, श्रृंगार, कुमकुम, गुलाल, बंदन नहीं चढ़ाया जाता। नारियल, अगरबत्ती माता को अर्पित किए जाते हैं। वहीं माता का मंदिर साल में सिर्फ एक दिन चैत्र नवरात्र के प्रथम रविवार को 4 घंटे के लिए खुलता है।

यूं तो चैत्र नवरात्र में महिलाएं माता के इस पावन 9 दिनों तक व्रत रहती है लेकिन मंदिर में महिलाओं के पूजा-अर्चना करने के लिए प्रवेश करना पूरी तरह से वर्जित है।

मंदिर को लेकर एक और पहेली बनी हुई है यहाँ की दीप, कहते हैं कि निरई माता मंदिर में हर साल चैत्र नवरात्र के दौरान अपने आप ही ज्योति प्रज्जवलित होती है। यह चमत्कार कैसे होता है, यह आज तक किसी को नहीं पता। ग्रामीणों का कहना है कि यह निरई देवी का ही चमत्कार है कि बिना तेल के ज्योति नौ दिनों तक जलती रहती है।

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