60 घंटे में बनकर तैयार हो गई थी राजस्थान की ये खूबसूरत इमारत, छुपे है बहुत सारे रहस्य

राजस्थान की अनोखी विरासत और सांस्कृतिक धरोहरें पूरी दुनिया में विख्यात है, हर साल लाखों की संख्या में देश विदेश के टूरिस्ट राजस्थान घूमने के लिए आते है। राजस्थान में स्थित सैकड़ों महल, किले, झील और यहाँ की संस्कृति सब कुछ राजस्थान को बिलकुल अलग बनाता है। 

ऐसे में आज के इस पोस्ट में हम राजस्थान के एक ऐसे ही अनोखे महल के बारे में बात करने वाले है जो आज से करीब 800 साल पुरानी है और आज भी यह कई मामलों में रहस्यों से भरा हुआ है।

हम जिस जगह के बारे में बात कर रहे है उसका नाम है अढाई दिन का झोपड़ा (Adhai Din ka Jhonpra), यह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। वैसे तो देखने में यह वास्तुकला का एक नायाब उदाहरण है लेकिन इसके बनने के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प और हैरत अंगेज है।

आज भी है विवादों में

वर्तमान में यह एक मस्जिद है लेकिन इसके इतिहास को लेकर कई धर्मों के बीच काफी ज्यादा विवाद भी है। यह मस्जिद भारतीय उपमहाद्वीप की इंडो-इस्लामिक वास्तुकला को प्रदर्शित करती है, ऐसा कहा जाता है कि शुरुआत में यह एक भारतीय इमारत थी जिसे सल्तनत राजवंश के दौरान एक इस्लामी संरचना में बदल दिया गया था।

बताया जाता है कि अढाई दिन के झोपड़े का निर्माण 1192 में अफगान के सेनापति मोहम्मद गौरी के आदेश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। इस मस्जिद परिसर में हिंदू, इस्लामी और जैन वास्तुकला की मिलाजुली झलक देखने को मिलती है।

कहा जाता है कि यह मस्जिद न होकर इस जगह पर एक बहुत बड़ा संस्कृत विद्यालय और मंदिर थे, जिन्हें बाद में तोड़कर मस्जिद में बदल दिया गया था। अढ़ाई दिन के झोंपड़े के मुख्य द्वार के बायीं ओर संगमरमर का बना एक शिलालेख भी है, जिसपर संस्कृत में उस विद्यालय का जिक्र मिलता है।

खास है इसकी कहानी

‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ का इतिहास कई तरह से बताया जाता है, कुछ कथाए ऐसी है कि मुहम्मद गोरी ने अजमेर से गुजरते समय पहले से मौजूद इस इमारत को देखा था तब उसने कुतुबुद्दीन ऐबक को 60 घंटों के भीतर संरचना को मस्जिद में बदलने का आदेश दिया जिसमें केवल ढाई दिन लगे जिसकी वजह से इस मस्जिद का नाम पड़ा अढ़ाई दिन का झोंपड़ा पड़ा।

कैसे पहुंचे ढाई दिन का झोपड़ा?

यह ईमारत राजस्थान के अजमेर शहर में है, ऐसे में यहाँ पहुंचना काफी ज्यादा आसान है। जयपुर से यहाँ की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है जहाँ से आप बस, टैक्सी आदि से आसानी से पहुंच सकते है।

साथ ही आप अजमेर के आसपास स्थित अन्य जगहें जैसे ख्वाजा मुईन-उद-दीन चिश्ती की दरगाह,अजमेर शरीफ, स्वर्ण जैन मंदिर, ब्रह्मा जी का मंदिर और पुष्कर झील के साथ पहाड़ी की ढलान में बने तारागढ़ किले को भी देख सकते हैं।

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