रांची से 125 किमी दूर है यह शानदार वाटरफॉल, देखकर दंग रह जाएंगी आंखें!

मानसून के समय भारत के हर कोने में आपको अलग ही माहौल और प्रकृति के सूंदर नज़ारे देखने को मिल जाते हैं ऐसे ही आज हम आपको झारखण्ड में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत वॉटरफॉल के बारें में बताएंगे। जिसका नजारा मानसून के समय देखने लायक होता हैं।

झारखंड की धरती अपने वातावरण, जंगल और जलवायु के लिए जानी जाती है। यहां के झरने, पहाड़ और घने जंगल हमेशा से ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते आए हैं। इनमें से एक यहाँ का लोध जलप्रपात।

यह जलप्रपात प्रकृति की सुंदरता का बहुत ही अच्छा उदाहरण है। अगर आप भी प्रकृति की गोद में सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं, तो लोध जलप्रपात जरूर आएं।

लोध जलप्रपात तक कैसे पहुंचें?

लोध जलप्रपात झारखंड के लातेहार जिले के महुआडांड़ में स्थित है। महुआडांड़ अनुमंडल से इसकी दूरी करीब 15 किमी है। यह जलप्रपात रांची से लगभग 120 किमी दूर है। यह अपनी विहंगम सुंदरता के कारण यह पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है। इसकी ऊंचाई लगभग 450 फुट है।

राज्य का सबसे ऊंचा जलप्रपात

बूढ़ा नदी पर स्थित होने के कारण इसे बूढ़ा घाघ जलप्रपात भी कहा जाता है। 143 मीटर ऊंचा यह झरना कई चरणों में गिरता है, जिससे एक अद्भुत और मनमोहक दृश्य बनता है। यह झरना पर्यटकों के बीच अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।

हरे-भरे वन और पहाड़ियों से घिरा स्थल

लोध जलप्रपात चारों ओर से हरे-भरे वन और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह जगह 63 वर्ग किमी में फैली हुई है और अपनी सुंदरता के कारण पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां का मौसम बेहद सुहाना होता है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

ट्रैकिंग और पिकनिक के लिए बेस्ट प्लेस

लोध जलप्रपात ट्रैकिंग और पिकनिक के लिए शानदार जगह है। यहां कई ट्रैकिंग ट्रेल्स और गाइड मौजूद हैं, जो पर्यटकों को झरने तक ले जाते हैं। यह पर्यटकों को रोमांच का अनुभव कराता है।

लोध जलप्रपात के आसपास विस्तृत जैव विविधता है, जिसमें हाथी, बाघ, तेंदुए और अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं। यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता के लिए प्रमुख पर्यटन स्थल है।

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